आज का पंचांग 18 सितंबर 2022 रविवार आश्विन कृष्ण पक्ष, अष्टमी,  अष्टमी श्राद्ध, जीवित्पुत्रिका व्रत

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Newspoint24/ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी दुर्गा मंदिर , दुर्गा कुंड ,वाराणसी 

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आज का पंचांग 18 सितंबर 2022 रविवार  

 
18 सितंबर 2022, दिन रविवार को आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि शाम 04.33 तक रहेगी, इसके बाद नवमी तिथि आरंभ हो जाएगी। इस दिन जीवित्पुत्रिका व्रत किया जाएगा। रविवार को पहले मृगशिरा नक्षत्र दोपहर 03.11 तक रहेगा, इसके बाद आर्द्रा नक्षत्र रात अंत तक रहेगा। रविवार को पहले मृगशिरा नक्षत्र होने से सौम्य नाम का शुभ योग और उसके बाद आर्द्रा नक्षत्र होने से ध्वांक्ष नाम का अशुभ योग इस दिन बनेगा। इसके अलावा इस दिन सिद्धि और व्यातिपात नाम के 2 अन्य योग भी रहेंगे। इस दिन राहुकाल शाम 04:53 से 06:24 तक रहेगा।

ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार रहेगी...
रविवार को सूर्य और बुध कन्या राशि में, चंद्रमा मिथुन में, शुक्र सिंह राशि में, मंगल वृष राशि में, शनि मकर राशि में (वक्री), राहु मेष राशि में, गुरु मीन राशि में (वक्री) और केतु तुला राशि में रहेंगे। रविवार को पश्चिम दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए। यदि करनी पड़े तो दलिया, घी या पान खाकर ही घर से निकलें।

18 सितंबर 2022 रविवार के पंचांग से जुड़ी अन्य खास बातें
विक्रम संवत- 2079
मास पूर्णिमांत- आश्विन
पक्ष-कृष्ण
दिन- रविवार
ऋतु- शरद
नक्षत्र- मृगशिरा और आर्द्रा
करण- कौलव और तैतिल
सूर्योदय - 05:45 प्रातः 
सूर्यास्त - 05:59 सायं 
चन्द्रोदय - सितंबर 19 12:09 रात्रि 
चन्द्रास्त - सितंबर 18 1:28 दोपहर
अभिजीत मुहूर्त- 11:56 दोपहर पूर्व से 12:45 दोपहर

18 सितंबर 2022 रविवार का अशुभ समय (इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें)
राहुकाल शाम 04:53 से 06:24 तक
यम गण्ड - 12:20 दोपहर  – 1:51 दोपहर
कुलिक - 3:22 दोपहर – 4:53 सायं 
दुर्मुहूर्त - 04:47 सायं  – 05:35 सायं 
वर्ज्यम् - 12:38 रात्रि  – 02:26 रात्रि 

निवास और शूल
होमाहुति    गुरु - 03:11 दोपहर तक उपरांत राहु
दिशा शूल    पश्चिम
अग्निवास    आकाश - 04:32 सायं तक उपरांत पाताल
चन्द्र वास    पश्चिम
राहु वास    उत्तर
शिववास    गौरी के साथ - 04:32 सायं तक उपरांत सभा में

एक साल में कितनी ऋतु होती है।
पंचांग के अनुसार, एक साल में 6 ऋतु होती हैं। इनके नाम इस प्रकार हैं- वर्षा, ग्रीष्म, शरद, हेमंत, शिशिर और वसंत। इन सभी ऋतुओं का अलग-अलग महत्व है। इनके समय भी नियत है यानी कौन-सी ऋतु कब शुरू होकर कब समाप्त होगी। इन सभी ऋतुओं में कई विशेष त्योहार मनाए जाते हैं। हिंदू नववर्ष की शुरूआत वंसत ऋतु से होती है। इस समय पेड़ों पर नए पत्ते आते हैं और प्रकृति भी नववर्ष के आगमन का संकेत देती है। 

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