आज का पंचांग 16 सितंबर 2022, शुक्रवार आश्विन कृष्ण पक्ष, षष्ठी,  सप्तमी श्राद्ध, भद्रा, रवि योग

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Newspoint24/ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी दुर्गा मंदिर , दुर्गा कुंड ,वाराणसी 

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 आज का पंचांग 16 सितंबर 2022, शुक्रवार  

16 सितंबर 2022, दिन शुक्रवार को आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि दोपहर 12.19 तक रहेगी, इसके बाद सप्तमी तिथि आरंभ हो जाएगी। शुक्रवार को कृत्तिका नक्षत्र सुबह 09.55 तक रहेगा। इसके बाद रोहिणी नक्षत्र रात अंत तक रहेगा। शुक्रवार को पहले कृत्तिका नक्षत्र होने छत्र और उसके बाद रोहिणी नक्षत्र होने से मित्र नाम के 2 शुभ योग बनेंगे। इनके अलावा सिद्धि नाम का एक अन्य शुभ योग भी इस दिन रहेगा। इस दिन राहुकाल सुबह 10:50 से दोपहर 12:21 तक रहेगा।

ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार रहेगी...
शुक्रवार को चंद्रमा वृष राशि में रहेगा। बुध ग्रह कन्या में (वक्री), सूर्य और शुक्र सिंह राशि में, मंगल वृष राशि में, शनि मकर राशि में (वक्री), राहु मेष राशि में, गुरु मीन राशि में (वक्री) और केतु तुला राशि में रहेंगे। शुक्रवार को पश्चिम दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए। अगर यात्रा करना जरूरी हो तो जौ या राईं खाकर घर से बाहर निकलें।

16 सितंबर 2022, शुक्रवार के पंचांग से जुड़ी अन्य खास बातें
विक्रम संवत- 2079
मास पूर्णिमांत- आश्विन
पक्ष-कृष्ण
दिन- शुक्रवार
ऋतु- शरद
नक्षत्र- कृत्तिका और रोहिणी
करण- वणिज और विष्टि
सूर्योदय - 05:44 प्रातः 
सूर्यास्त - 06:01 सायं 
चन्द्रोदय - सितंबर 16 10:34 रात्रि 
चन्द्रास्त - सितंबर 17 12:34 दोपहर 
अभिजीत मुहूर्त- 11:57 दोपहर पूर्व से 12:46 दोपहर


16 सितंबर 2022, शुक्रवार का अशुभ समय (इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें)
राहुकाल सुबह 10:50 से दोपहर 12:21 तक
यम गण्ड - 3:23 दोपहर – 4:54 सायं 
कुलिक - 7:48 प्रातः  – 9:19 प्रातः 
दुर्मुहूर्त - 08:43 प्रातः – 09:31 प्रातः, 12:46 दोपहर – 01:34 दोपहर
वर्ज्यम् - 03:32 रात्रि  – 05:18 प्रातः 

निवास और शूल
होमाहुति    गुरु
दिशा शूल    पश्चिम
अग्निवास    पृथ्वी - 12:19 पी एम तक उपरांत आकाश
नक्षत्र शूल    पश्चिम - 09:56 ए एम से पूर्ण रात्रि तक
चन्द्र वास    दक्षिण
राहु वास    दक्षिण-पूर्व
शिववास    भोजन में - 12:19 पी एम तक उपरांत श्मशान में

शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि है पूर्णिमा  
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कृष्ण और शुक्ल पक्ष मिलाकर कुल 16 तिथियां होती हैं। इनमें से 1 से लेकर 14 तक की तिथियां समान होती हैं। इनमें शुक्ल पक्ष की 15वीं तिथि को पूर्णिमा कहते हैं। इस तिथि को बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन कई व्रत त्योहार भी मनाए जाते हैं। पूर्णिमा तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा करना शुभ माना जाता है और सत्यनारायण की कथा भी विशेष रूप से करवाई जाती है।


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