आज का पंचांग 15 सितंबर 2022, गुरुवार आश्विन कृष्ण पक्ष, पञ्चमी, षष्ठी श्राद्ध

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Newspoint24/ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी दुर्गा मंदिर , दुर्गा कुंड ,वाराणसी 

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आज का पंचांग 15 सितंबर 2022, गुरुवार  

15 सितंबर गुरुवार का पंचांग  
15 सितंबर 2022, दिन गुरुवार को आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि सुबह 11.00 तक रहेगी, इसके बाद षष्ठी तिथि आरंभ हो जाएगी। इस दिन षष्ठी तिथि का श्राद्ध किया जाएगा। गुरुवार को दिन भर कृत्तिका नक्षत्र रहेगा। गुरुवार को कृत्तिका नक्षत्र होने से पद्म नाम का अशुभ योग इस दिन बन रहा है। इसके अलावा हर्षण और वज्र नाम के 2 अन्य योग भी इस दिन रहेंगे। राहुकाल दोपहर 01:53 से 03:24 तक रहेगा।

ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार रहेगी...
गुरुवार को चंद्रमा मेष राशि से निकलकर वृष में प्रवेश करेगा। इस दिन बुध ग्रह कन्या में (वक्री), सूर्य और शुक्र सिंह राशि में, मंगल वृष राशि में, शनि मकर राशि में (वक्री), राहु मेष राशि में, गुरु मीन राशि में (वक्री) और केतु तुला राशि में रहेंगे। गुरुवार को दक्षिण दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिए। यदि करनी पड़े तो दही या जीरा मुंह में डाल कर निकलें।

15 सितंबर के पंचांग से जुड़ी अन्य खास बातें
विक्रम संवत- 2079
मास पूर्णिमांत- आश्विन
पक्ष-कृष्ण
दिन- गुरुवार
ऋतु- वर्षा
नक्षत्र- कृत्तिका
करण- तैतिल और गर
सूर्योदय - 6:17 AM
सूर्यास्त - 6:27 PM
चन्द्रोदय - Sep 15 9:52 PM
चन्द्रास्त - Sep 16 11:38 AM 
अभिजीत मुहूर्त- 11:57 AM से 12:46 PM

15 सितंबर का अशुभ समय (इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें)
राहुकाल दोपहर 01:53 से 03:24 तक
यम गण्ड - 6:16 AM – 7:48 AM
कुलिक - 9:19 AM – 10:50 AM
दुर्मुहूर्त - 10:20 AM – 11:09 AM और 03:12 PM – 04:01 PM
वर्ज्यम् - 09:00 PM – 10:43 PM

निवास और शूल
होमाहुति    मंगल - 08:05 ए एम तक उपरांत गुरु
दिशा शूल    दक्षिण
चन्द्र वास    पूर्व - 02:29 पी एम तक उपरांत दक्षिण - 02:29 पी एम से पूर्ण रात्रि तक
अग्निवास    पाताल - 11:00 ए एम तक पृथ्वी
राहु वास    दक्षिण
शिववास    नन्दी पर - 11:00 ए एम तक उपरांत भोजन में

रिक्ता तिथि है चतुर्दशी  
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कृष्ण और शुक्ल पक्ष मिलाकर कुल 16 तिथियां होती हैं। इनमें से 1 से लेकर 14 तक की तिथियां समान होती हैं। इनमें चौदहवीं तिथि बहुत खास होती है। इसे चतुर्दशी तिथि कहते हैं। धर्म ग्रंथों में इस तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। चतुर्दशी तिथि के स्वामी देव भगवान शिव हैं। इस तिथि में जन्म लेने वाले लोगों को महादेव की पूजा जरूर करनी चाहिए। यह तिथि रिक्ता तिथियों में से एक है, इसलिए मुहूर्त कार्यों में सामान्यत: इस तिथि का त्याग किया जाता है।
 
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