Til Chaturthi 2023 : इस बार तिल चतुर्थी पर एक नहीं कई शुभ योग , जानें कब होगा चंद्रोदय?
![Til Chaturthi 2023](https://newspoint24.com/static/c1e/client/84309/uploaded/888d929ea4f7a8c7eb04947257e0fb64.png)
Newspoint24/ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी दुर्गा मंदिर , दुर्गा कुंड ,वाराणसी
धर्म ग्रंथों के अनुसार, चतुर्थी तिथि के स्वामी भगवान श्रीगणेश है। इसी तिथि पर इनका जन्म भी हुआ था। इसलिए प्रत्येक महीने के दोनों पक्षों (शुक्ल व कृष्ण) की चतुर्थी तिथि को भगवान श्रीगणेश के निमित्त व्रत-पूजा की जाती है। इन व्रतों में चंद्रमा की पूजा का भी विधान है। इस तरह एक साल में कुल 24 चतुर्थी तिथि होती है। अधिक मास में इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। इस बार 10 जनवरी को माघ कृष्ण चतुर्थी तिथि है। इसे तिल चतुर्थी कहते हैं। इस दिन भगवान श्रीगणेश को तिल से बने पकवानों का भोग विशेष रूप से चढ़ाया जाता है। आगे जानिए चतुर्थी तिथि से जुड़ी खास बातें और तिथि चतुर्थी पर कब होगा चंद्रोदय…
साल की 4 चतुर्थी होती है बहुत खास
वैसे तो हर चतुर्थी पर भगवान श्रीगणेश के निमित्त व्रत किया जाता है, लेकिन इन सभी में 4 चतुर्थी को बहुत ही विशेष माना गया है। हिंदू पंचांग के अनुसार, पहली चतुर्थी वैशाख मास में आती है, दूसरी भादौ में और तीसरी कार्तिक मास में। कार्तिक मास की चतुर्थी को करवा चौथ कहते हैं। साल की अंतिम प्रमुख चतुर्थी माघ मास में आती है, जिसे तिल चतुर्थी कहते हैं।
इस बार तिल चतुर्थी क्यों खास?
इस बार तिल चतुर्थी पर एक नहीं कई शुभ योग बन रहे हैं जिसके चलते इसका महत्व और भी बढ़ गया है। मंगलवार को चतुर्थी तिथि का संयोग होने से ये अंगारक चतुर्थी भी कहलाएगी। इस दिन मंगल ग्रह की पूजा और उपाय करना भी अति शुभ माना जाता है। जिन लोगों की कुंडली में मंगल अशुभ है, उन्हें इस दिन विशेष पूजा करनी चाहिए। साथ ही इस दिन प्रीति, आयुष्मान और आनंद नाम के 3 शुभ योग बन रहे हैं।
संकष्टी चतुर्थी का महत्व
संकष्टी का अर्थ है संकटों का हरण करने वाली यानी परेशानी दूर करने वाली। जिस व्यक्ति को अपने जीवन में अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हो, वो यदि इस तिथि पर विधि-विधान पूर्वक व सच्चे मन से संकष्टी चतुर्थी का व्रत करे तो उसकी परेशानियां अपने आप ही दूर हो सकती हैं। उसके परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और जीवन सुखमय बना रहता है।
कब होगा चंद्रोदय?
पंचांग के अनुसार, तिल चतुर्थी पर चंद्रोदय रात 08.30 के बाद होगा। स्थान के अनुसार, इसके समय में आंशिक परिवर्तन हो सकता है। रात में चंद्रोदय होने पर पूजा करें और जल से अर्घ्य दें। इसके बाद परिवार की बुजुर्ग महिलाओं के पैर छूकर आशीर्वाद लें। इस तरह ये व्रत पूर्ण होता है।