इस बार करवा चौथ पर कई विशिष्ट संयोग, जानें कब करें व्रत का उद्यापन 

This time many special coincidences on Karva Chauth, know when to do Udyapan of fast
इस बार करवा चौथ पर कई विशिष्ट संयोग बन रहे हैं, इस दिन रोहिणी तथा कृतिका नक्षत्र के अलावा सिद्धि योग भी बन रहा है। रोहिणी नक्षत्र, चंद्रमा का सबसे शुभ नक्षत्र माना गया है। शुक्र या गुरु अस्त होने पर ज्योतिषीय दृष्टि से विवाह जैसे मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं न कि सभी त्योहार। करवा चौथ तो जीवन साथी की दीर्घायु, स्वस्थ जीवन, व्रत रखने, उपहार देने, उद्यापन करने जैसी स्वस्थ परंपराएं निभाने के लिए है जिसमें तारा डूबने के कारण इस पर रोक लगाना तर्कसम्मत नहीं है।

Newspoint24/ ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी दुर्गा मंदिर , दुर्गा कुंड ,वाराणसी  
 

इस बार करवा चौथ पर कई विशिष्ट संयोग बन रहे हैं, इस दिन रोहिणी तथा कृतिका नक्षत्र के अलावा सिद्धि योग भी बन रहा है। रोहिणी नक्षत्र, चंद्रमा का सबसे शुभ नक्षत्र माना गया है। शुक्र या गुरु अस्त होने पर ज्योतिषीय दृष्टि से विवाह जैसे मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं न कि सभी त्योहार। करवा चौथ तो जीवन साथी की दीर्घायु, स्वस्थ जीवन, व्रत रखने, उपहार देने, उद्यापन करने जैसी स्वस्थ परंपराएं निभाने के लिए है जिसमें तारा डूबने के कारण इस पर रोक लगाना तर्कसम्मत नहीं है।

कार्य में सफलता के योग
वास्तव में विवाह के शुभ मुहूर्त देखते समय, आकाश में गुरु तथा शुक्र की स्थिति ठीक होनी चाहिए जो इस बार पहली अक्तूबर से 28 नवंबर 2022 तक ठीक नहीं है। इसलिए अक्तूबर तथा नवंबर में विवाह के शुभ मुहूर्त नहीं हैं। यदि तारा डूबने के दौरान, नवरात्र, दशहरा, भाई दूज, यहां तक कि दिवाली मनाई जा सकती है तो करवा चौथ का व्रत रखने या उसके उद्यापन में क्या दोष है? देश, काल, पात्र एवं परिस्थितिनुसार हमें आधुनिक समय में शास्त्रों की बहुत सी प्रचलित धारणाओं को बदलने की और उन नियमों के मर्म, भावना तथा आस्था को समझने की आवश्यकता है।

अत: नवविवाहिता, जिनके विवाह के बाद यह पहला करवा चौथ है, वे भी यह व्रत रख सकती हैं और उद्यापन भी कर सकती हैं। आधुनिक युग में कुंवारे, विवाह योग्य लड़के, पति तक करवा चौथ का व्रत अपने जीवन साथी के उत्तम स्वास्थ्य, लंबी आयु, जन्म जन्मांतर तक एक दूसरे को पाने के लिए करते हैं जबकि हम अभी उन नियमों से बाहर नहीं आ पा रहे हैं जो कई सदियों पूर्व लिखे गए थे।

शास्त्रों की बात की जाए तो उनके अनुसार, यह व्रत केवल महिलाएं ही रखेंगी। कहीं पुरुष द्वारा निर्जल व्रत रखने का जिक्र नहीं है। तो क्या पुरुषों का करवा चौथ मनाना शास्त्रों के विरुद्ध हो जाएगा? हमें समय के अनुसार बदलना आवश्यक है और यही सनातन पद्धति है।


लिहाजा आप 13 अक्तूबर, गुरुवार को नि:संकोच करवा चौथ मनाएं, उद्यापन करें। इससे कहीं दोष नहीं लगेगा। इस बार तो नर्क चौदस यानी छोटी दिवाली और बड़ी दिवाली एक ही दिन 24 अक्तूबर को मनानी पड़ेगी क्योंकि 25 अक्तूबर को सूर्य ग्रहण है। गोवर्धन पूजा, अन्नकूट और भाई दूज जैसे पर्व एक ही दिन 26 अक्तूबर को निपटाने पड़ेंगे।

चंद्रोदय रात 8 बजकर 10 मिनट पर है। महिलाओं को इस समय तक निर्जला व्रत रहना है। करवा चौथ की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 01 मिनट से 07 बजकर 15 मिनट तक है। करवा चौथ का त्योहार सरगी के साथ शुरू होता है। यह करवा चौथ के दिन सूर्योदय से पहले खाया जाता है। जो महिलाएं करवा चौथ रखती हैं, उनके लिए उनकी सास सरगी बनाती हैं। करवा चौथ की शाम के समय चंद्रोदय से एक घंटा पहले संपूर्ण शिव-परिवार की विधिवत पूजा की जाती है।

उद्यापन क्या है

नवविवाहिता अपने पति की सलामती के लिए करवा चौथ के व्रत की शुरुआत करती है। एक बार शुरु किया गया करवा चौथ का व्रत पति के जीवित रहने तक करना होता है। करवा चौथ का व्रत निर्जल और निराहार रहकर करना पड़ता है, लेकिन जिंदगी में विभिन्न कारणों से ऐसी स्थिति भी उत्पन्न हो जाती है जब पत्नी के लिए निर्जल व्रत रख पाना मुश्किल होता है, जबकि वह व्रत नहीं छोड़ना चाहती। ऐसी स्थिति में हिंदू धर्म में एक व्यवस्था व्रत का उद्यापन करना होता है। अगर कोई विवाहिता एक बार उद्यापन कर ले तो उसके बाद के सालों में वह व्रत के दौरान एक बार पानी अथवा चाय पी सकती है अथवा व्रत बंद भी कर सकती है।

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उद्यापन की विधि

करवा चौथ के व्रत का उद्यापन करवा चौथ के दिन ही करना चाहिए। उद्यापन करने के लिए 13 महिलाओं को 13 सुपारी देकर भोजन के लिए आमंत्रित करना चाहिए, जो करवा चौथ के दिन का व्रत कर रही हों। ये महिलाएं करवा चौथ का व्रत, पूजन और व्रत का पारण आपके घर ही करें। घर पर हलवा पूरी और सामर्थ्यनुसार भोजन बनाएं। भोजन में लहसुन नहीं डालें।

सबसे पहले एक थाली में 4-4 पूड़ी और हलवा 13 जगह पर रखें, उस पर रोली से टीका कर अक्षत छिड़कें। इसे गणेश जी को चढ़ाएं। घर में जिन 13 महिलाओं का आपने आमंत्रित किया है, उन्हें पहले प्रसाद में चढ़ा पूड़ी और हलवा खिलाएं। फिर एक दूसरी थाली में सास के लिए खाना परोसें। इस पर एक सोने की लौंग, लच्छा, बिंदी, काजल, बिछिया, बिंदी, मेहंदी, चूड़ा इत्यादि सुहाग के सामान तथा कुछ रुपए रखें।

अब एक हाथ से पल्लू को सर पर रखते हुए परोसी हुई थाली को सास के सामने रखें। अगर सास नहीं हों तो उनकी जगह घर की वयोवृद्ध महिला को यह थाली भेंट कर उनका आशीर्वाद लें। अब आमंत्रित 13 महिलाओं को भी भोजन करवा कर टीका करें। एक प्लेट में सुहाग के सभी सामान एवं कुछ रुपए रखकर उन्हें तोहफा दें। फिर देवर या जेठ के एक लड़के को साक्षी बनाकर उसे भी भोजन करवाएं और उसे नारियल और रुपए भेंट करें।

यदि 13 सुहागनों को घर पर आमंत्रित करना संभव नहीं हो रहा है तो एक एक थाली में एक आदमी जितना खाया जाने वाला भोजन थाली में निकालें और पूजा पर चढ़ाए गए 4-4 पूड़ी-हलवा प्रत्येक थाली में रखें। प्रत्येक थाली में सुहाग के सामान रखकर उसे आमंत्रित महिलाओं के घर भिजवा दें। आप अपनी सुविधानुसार अथवा परिवार के रिवाज के अनुसार भोजन बना सकती हैं। इस तरह से आपका उद्यापन पूरा हो जाएगा। अगर ऐसा करना भी संभव नहीं हो रहा है तो किसी सुहागन ब्राह्मणी को भोजन और वस्त्र दान कर उद्यापन कर सकती हैं।

इस बात का ध्यान रखें कि भोजन और दान दिए जाने वाले वस्त्र को पहले भगवान गणेश को अर्पित करें। इसके बाद ही ब्राह्मणी को ये वस्तुएं दान दें। अब आप अगले वर्षों में दिन में एक बार चाय अथवा पानी पीकर व्रत जारी रख सकती हैं, अथवा व्रत रोक सकती हैं।

 

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