2022 का पहला चंद्र ग्रहण 16 मई सोमवार को , जानिए कब से तक रहेगा सूतक, इस दौरान कौन-से काम करने से बचना चाहिए

यह पूर्ण चंद्र ग्रहण है। खगोल शास्त्रियों के अनुसार, ग्रहण के दौरान चंद्रमा का रंग गहरा लाल हो जाएगा, इसलिए इसे ब्लड मून कहा जाएगा। भारतीय समय के अनुसार, 16 मई की सुबह ये ग्रहण 07.58 से शुरू होगा जो 11.58 पर खत्म होगा।
ग्रहण के साथ ही सूतक भी समाप्त हो जाएगा। आगे जानिए ग्रहण से जुड़ी और भी खास बातें…
Newspoint24/ ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी दुर्गा मंदिर , दुर्गा कुंड ,वाराणसी
वाराणसी। इस बार साल का पहला चंद्र ग्रहण 16 मई, सोमवार को होने जा रहा है। इस दिन वैशाख पूर्णिमा तिथि रहेगी। यह पूर्ण चंद्र ग्रहण है। खगोल शास्त्रियों के अनुसार, ग्रहण के दौरान चंद्रमा का रंग गहरा लाल हो जाएगा, इसलिए इसे ब्लड मून कहा जाएगा। भारतीय समय के अनुसार, 16 मई की सुबह ये ग्रहण 07.58 से शुरू होगा जो 11.58 पर खत्म होगा। ग्रहण के साथ ही सूतक भी समाप्त हो जाएगा। आगे जानिए ग्रहण से जुड़ी और भी खास बातें…
क्या भारत में दिखाई देगा ये ग्रहण?
खगोल शास्त्रियों के अनुसार, 16 मई, सोमवार को होने वाला चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। इस वजह से यहां इसकी कोई मान्यता भी नहीं रहेगी। जिन देशों में ये ग्रहण दिखाई देगा, वहीं इसकी धार्मिक और ज्योतिषिय मान्यता रहेगी। इस बार ये ग्रहण अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, दक्षिण-पश्चिमी यूरोप, एशिया, प्रशांत महासागर, हिंद महासागर में दिखाई देगा।
जानिए कब से तक रहेगा सूतक?
धर्म ग्रंथों की मानें तो चंद्रग्रहण का सूतक 9 घंटे पहले से माना जाता है। इस दृष्टिकोण से 16 मई को होने वाले ग्रहण का सूतक 15 मई, रविवार की रात 10:58 से शुरू होगा जो 16 मई, सोमवार की सुबह 11.58 पर समाप्त हो जाएगा। सूतक काल के दौरान कोई भी शुभ काम करने से बचना चाहिए। ये सूतक सिर्फ उन्हीं स्थानों पर मान्य होगा, जहां ये ग्रहण दिखाई देगा।
ग्रहण के दौरान खाने की चीजों में तुलसी क्यों रखते हैं?
धार्मिक मान्यताओं के अनसुर ग्रहण के दौरान हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस की संख्या अचानक बहुत बढ़ जाती है। जिसका हानिकारक प्रभाव खाद्य पदार्थों पर भी होता है। ये सूक्ष्म जीव भोजन को दूषित कर देते हैं, जिसके कारण ये खाने योग्य नहीं रह जाते। अगर इन खाने की चीजों में तुलसी के पत्ते रख दिए जाएं तो खाने योग्य बने रहते हैं क्योंकि तुलसी के पत्तो में एंटीबायोटिक गुण होते हैं, जो बैक्टीरिया और वायरस को पनपते नही देते और भोजन को सुरक्षित रखते हैं।
ग्रहण के दौरान मंदिरों के दरवाजे बंद क्यों कर दिए जाते हैं?
हिंदू धर्म में मान्यता है कि ग्रहण के दौरान निगेटिव शक्तियों का प्रभाव बढ़ जाता है। इसका प्रभाव मंदिरों के गर्भगृह तक न पहुंचें इसलिए मंदिरों के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं। इसके बाद जैसे ही ग्रहण समाप्त होता है, मंदिरों को पानी से धोया जाता है और साफ-सफाई की जाती है। घर के मंदिरों में ग्रहण के बाद साफ करना चाहिए और भगवान की प्रतिमाओं को भी साफ पानी से स्नान करवाने के बाद पुन: मंदिर में रखना चाहिए।
ग्रहण के दौरान ये काम भी न करें
1. ग्रहण के दौरान भोजन न करें। नहीं तो सेहत खराब हो सकती है।
2. ग्रहण काल में तुलसी के पौधे को टच ना करें। ऐसा करना शुभ नहीं माना जाता।
3. ग्रहण काल में सोने से बचें। इससे भी अशुभ फल मिलने की आशंका रहती है।
4. ग्रहण काल में सहवास ना करें। इस समय होने वाली संतान में निगेटिविटी अधिक होती है।