अक्षय तृतीया का पर्व तीन मई को , 50 वर्षों बाद बन रहा अद्भुत संयोग ,मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के लिए इस विधि करें पूजन 

The festival of Akshaya Tritiya is on May 3, a wonderful coincidence being made after 50 years, worship this method to get the blessings of Mother Lakshmi.

ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी दुर्गा मंदिर , दुर्गा कुंड ,वाराणसी ने बताया कि अक्षय तृतीया रोहिणी नक्षत्र, शोभन योग, तैतिल करण और वृषभ राशि के चंद्रमा के साथ आ रही है ।

इस दिन मंगलवार और रोहिणी नक्षत्र होने से मंगल रोहिणी योग का निर्माण हो रहा है।

शोभन योग के कारण इस दिन का महत्व बढ़ रहा है। पांच दशक के बाद ग्रहों का विशेष योग बन रहा है।

Newspoint24/ ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी दुर्गा मंदिर , दुर्गा कुंड ,वाराणसी

वाराणसी। अक्षय तृतीया का पर्व तीन मई को है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी दिन से त्रेता युग का आरंभ हुआ था, भगवान परशुराम का अवतरण भी इसी दिन हुआ। अक्षय तृतीया के दिन ही श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट खोले जाते हैं। इस दिन सरयू स्नान और गंगा स्नान का बड़ा विशेष महत्व होता है। विशेष रूप से इस दिन माता लक्ष्मी का पूजन किया जाता है। मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के लिए ये बहुत महत्वपूर्ण दिन है।

50 वर्षों बाद बन रहा अद्भुत संयोग

ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी दुर्गा मंदिर , दुर्गा कुंड ,वाराणसी ने बताया कि अक्षय तृतीया रोहिणी नक्षत्र, शोभन योग, तैतिल करण और वृषभ राशि के चंद्रमा के साथ आ रही है । इस दिन मंगलवार और रोहिणी नक्षत्र होने से मंगल रोहिणी योग का निर्माण हो रहा है। शोभन योग के कारण इस दिन का महत्व बढ़ रहा है। पांच दशक के बाद ग्रहों का विशेष योग बन रहा है।

अक्षय तृतीया का महत्व

ज्योतिषाचार्य कहते है कि अक्षय तृतीया को स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना गया है। इस दिन किसी भी कार्य को करने के लिए पंचांग देखने या मुहूर्त निकलवाने की आवश्यकता नहीं होती। अक्षय तृतीया के दिन किया गया कार्य अक्षय रहता है, उसका कभी ह्रास नहीं होता ।

मई अक्षय-तृतीया पर दुर्लभ संयोग

इस बार 3 मई अक्षय-तृतीया के दिन धन-समृद्धि के नियंत्रक ग्रह शुक्र और कार्य सिद्धि के ग्रह चंद्रमा दोनों ही अपनी उच्च राशि में रहेंगे, जो एक बहुत शुभ दुर्लभ योग है। इसलिए इस बार अक्षय-तृतीया स्वर्ण, आभूषण, वाहन, या कोई भी नई वस्तु खरीदना आपके जीवन में धन समृद्धि की वृद्धि करेगा। चन्द्रमा शुक्र की उच्चता के प्रभाव से इस बार अक्षय तृतीया पर किए शुभ कार्य आपको कई गुना शुभ फल प्रदान करेंगे।

अक्षय तृतीया शुभ मुहूर्त

अक्षय तृतीया तिथि आरंभ: 3 मई सुबह 5 बजकर 18 मिनट पर

समापन: 4 मई सुबह 7 बजकर 32 मिनट तक।

रोहिणी नक्षत्र: 3 मई सुबह 12 बजकर 34 मिनट से शुरू होकर 4 मई सुबह 3 बजकर 18 मिनट तक होगा।

पूजन का श्रेष्ठ समय: सुबह 6:18 से 8:14 के बीच स्थिर लग्न (वृष) का श्रेष्ठ मुहूर्त होगा जो अक्षय पूजन के लिए श्रेष्ठ होगा, सुबह 9 बजे से शुभ चौघड़िया मुहूर्त आरम्भ हो जाएंगे जो दोपहर तक रहेंगे। 9 बजे के बाद भी कभी भी पूजन किया जा सकेगा।

करें ये खास उपाय -

ग्यारह बार श्री सूक्त का पाठ करें।

ॐ श्रीम श्रीये नम: इस मंत्र का 5 से 11 माला जाप करें।

108 मखानों की माला बनाकर मां लक्ष्मी को अर्पित करें।


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