अन्नकूट एवं गोवर्धन पूजन (25 अक्तूबर) पर सूर्यग्रहण की छाया,  गोवर्धन पूजा, अन्नकूट व भाई दूज 26 को 

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ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी दुर्गा मंदिर , दुर्गा कुंड ,वाराणसी ने कहा कि 26 को दोपहर 3.35 बजे के बाद द्वितीया तिथि लगेगी। इसलिए गोवर्धन पूजा, अन्नकूट व भाई दूज 26 को मनाए जाएंगे।

इससे पूर्व दीपावली पर 24 अक्तूबर 1995 को सूर्यग्रहण था। इसका असर कुछ हिस्सों में पड़ा था और गोवर्धन पूजा एवं अन्नकूट बाधित हुआ था। दोनों पर्व दीपावली के एक दिन बाद मनाए गए थे। 

Newspoint24/newsdesk/एजेंसी इनपुट के साथ
 

अन्नकूट एवं गोवर्धन पूजन (25 अक्तूबर) पर सूर्यग्रहण की छाया पड़ रही है। ऐसे में दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा व अन्नकूट की परंपरा 27 साल के बाद फिर से टूट जाएगी। खंडग्रास सूर्यग्रहण के कारण गोवर्धन पूजा नहीं होगी और कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी युक्त प्रदोष व्यापिनी अमावस्या पर अन्नकूट व गोवर्धन पूजा 26 अक्तूबर को मनाई जाएगी। 

ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी दुर्गा मंदिर , दुर्गा कुंड ,वाराणसी ने कहा कि 26 को दोपहर 3.35 बजे के बाद द्वितीया तिथि लगेगी। इसलिए गोवर्धन पूजा, अन्नकूट व भाई दूज 26 को मनाए जाएंगे। इससे पूर्व दीपावली पर 24 अक्तूबर 1995 को सूर्यग्रहण था। इसका असर कुछ हिस्सों में पड़ा था और गोवर्धन पूजा एवं अन्नकूट बाधित हुआ था। दोनों पर्व दीपावली के एक दिन बाद मनाए गए थे। 

गोवर्धन पूजा
 
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि श्रीमद्भागवत के अनुसार, जब कृष्ण ने ब्रजवासियों को मूसलाधार वर्षा से बचाने के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अंगुली पर उठाकर इंद्र का मान मर्दन किया तथा उनके सुदर्शन चक्र के प्रभाव से ब्रजवासियों पर जल की एक बूंद भी नहीं पड़ी। तब ब्रह्माजी ने इंद्र को बताया कि पृथ्वी पर श्रीकृष्ण ने जन्म ले लिया है, उनसे बैर लेना उचित नहीं है। तब श्रीकृष्ण अवतार की बात जानकर इंद्रदेव लज्जित हुए और उनसे क्षमा-याचना की। भगवान श्रीकृष्ण ने सातवें दिन गोवर्धन पर्वत को नीचे रखा और हर वर्ष अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी। तभी से यह उत्सव अन्नकूट के नाम से मनाया जाने लगा। 

कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन भगवान के निमित्त भोग और नैवेद्य बनाया जाता है, जिन्हें छप्पन भोग कहते हैं। अन्नकूट पर्व मनाने से मनुष्य को लंबी आयु तथा आरोग्य की प्राप्ति होती है। 

अन्नकूट महोत्सव : प्रसन्न होकर मनाएं अन्नकूट
ऐसा माना जाता है कि यदि इस दिन कोई मनुष्य दुखी रहता है तो वह वर्ष भर दुखी ही रहेगा। इसलिए हर मनुष्य को इस दिन प्रसन्न रहकर अन्नकूट उत्सव भक्ति तथा आनंदपूर्वक मनाना चाहिए। 

गोवर्धन पूजा प्रात: काल मुहूर्त 
06.36 से 08.02 बजे तुला लग्न है। इसमें तुला लग्न का स्वामी शुक्र है और तुला लग्न में सूर्य हैं, इसलिए प्रात: काल का है सर्वोत्तम मुहूर्त है। इसकी अवधि 1 घंटे 28 मिनट की है।

गोवर्धन पूजा सायंकाल मुहूर्त 
3.43 बजे से 5.11 बजे तक इसकी अवधि 1.28 मिनट तक हैं। यह मीन लग्न में मनाया जाएगा क्योंकि मीन का स्वामी गुरु है और गुरु स्वराशि मीन राशि पर ही स्थित है।

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