सर्वपितृ अमावस्या पितरों की विदाई का दिन 25 सितंबर को खत्म होगा पितृ पक्ष,  पितरों का श्राद्ध करने के लिए महा पर्व है पितृविसर्जनी अमावस्या 

Sarvapitri Amavasya, the day of farewell of ancestors will end on September 25, Pitru Paksha is a great festival to perform Shradh for ancestors.
अथर्ववेद में कहा है कि जब सूर्य कन्या राशि में हो, तब पितरों को तृप्त करने वाली चीजें देने से स्वर्ग मिलता है। याज्ञवल्क्य और यम स्मृति में बताया है कि इन 16 दिनों में पितरों के लिए विशेष पूजा और दान करना चाहिए। इनके अलावा पुराणों की बात करें तो ब्रह्म, विष्णु, नारद, स्कंद और भविष्य पुराण में श्राद्धपक्ष के दौरान पितरों की पूजा का जिक्र है।

Newspoint24/ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी दुर्गा मंदिर , दुर्गा कुंड ,वाराणसी 
 

वाराणसी। आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या 25 सितंबर को है। इसे सर्वपितृ अमावस्या कहते हैं। जो लोग पितृ पक्ष में श्राद्ध-तर्पण नहीं कर पाएं या जिनको अपने पूर्वजों की मृत्यु तिथि याद न हो, वो लोग इस दिन श्राद्ध करें तो उनके पितर पूरे साल के लिए संतुष्ट हो जाते हैं। इसलिए इसे सर्वपितृ अमावस्या कहते हैं। पितृ पक्ष की अमावस्या के दिन सभी पितरों का विसर्जन होता है। इसलिए इसे पितृविसर्जनी अमावस्या भी कहते हैं।

ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी दुर्गा मंदिर , दुर्गा कुंड ,वाराणसी ने बताया कि सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितर अपने वंशजो के घर हवा के रूप में श्राद्ध लेने आते हैं। उन्हें अन्न-जल नहीं मिलता तो वे दुखी होकर चले जाते हैं। इससे दोष लगता है और शास्त्रों में बताया गया पितृ ऋण बढ़ जाता है। इसलिए सर्व पितृ अमावस्या पर जल, तिल, जौ, कुशा और फूल से उनका श्राद्ध करें। फिर गाय, कुत्ते, कौवे और चीटियों के लिए खाना निकालकर ब्राह्मण भोजन करवाएं। इससे पितृ ऋण उतर जाता है।

श्राद्ध के लिए क्या कहते हैं वेद-पुराण
अथर्ववेद में कहा है कि जब सूर्य कन्या राशि में हो, तब पितरों को तृप्त करने वाली चीजें देने से स्वर्ग मिलता है। याज्ञवल्क्य और यम स्मृति में बताया है कि इन 16 दिनों में पितरों के लिए विशेष पूजा और दान करना चाहिए। इनके अलावा पुराणों की बात करें तो ब्रह्म, विष्णु, नारद, स्कंद और भविष्य पुराण में श्राद्धपक्ष के दौरान पितरों की पूजा का जिक्र है।

ग्रंथों में कहा है कि श्राद्ध शुरू होते ही पितृ मृत्युलोक में अपने वंशजों को देखने के लिए आते हैं और तर्पण ग्रहण करके लौट जाते हैं। इसलिए, इन दिनों में पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण, पिंडदान, ब्राह्मण भोजन और अन्य तरह के दान किए जाते हैं।

क्या होता है श्राद्ध करने से
ग्रंथों के मुताबिक श्राद्ध करने से पितर तृप्त होते हैं। इससे उनका आशीर्वाद मिलता है। हमारा सौभाग्य और वंश परंपरा बढ़ती है। घर में सुख और शांति रहती है। परिवार में बीमारियां नहीं होती। धर्म-कर्म में रुचि बढ़ती है। परिवार में संतान पुष्ट, आयुष्मान और सौभाग्यशाली होती है। पितरों का पूजन करने वाला दीर्घायु, बड़े परिवार वाला, यश, स्वर्ग, पुष्टि, बल, लक्ष्मी, पशु, सुख-साधन तथा धन-धान्य प्राप्त करता है।

 
 

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