संकष्टी चतुर्थी 15 अगस्त 2022: जानिए संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त व चंद्रोदय का समय

Sankashti Chaturthi 15 August 2022: Know the method of worship of Sankashti Chaturthi, auspicious time and moonrise time

Newspoint24/ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी दुर्गा मंदिर , दुर्गा कुंड ,वाराणसी 
 


उज्जैन। धर्म ग्रंथों के अनुसार, प्रत्येक महीने के दोनों पक्षों की चतुर्थी तिथि को भगवान श्रीगणेश को प्रसन्न करने के लिए व्रत व पूजा की जाती है। इस बार 15 अगस्त, सोमवार को भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का योग बन रहा है। इसे संकष्टी व हेरंब चतुर्थी कहते हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीगणेश की पूजा करने से सभी संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही सुख-सौभाग्य में वृद्धि भी होती है। संकष्टी चतुर्थी पर महिलाएं दिन भर निराहार रहती हैं और शाम को चंद्रमा देखने के बाद ही अपना व्रत पूर्ण करती हैं। आगे जानिए संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त व अन्य खास बातें…

संकष्टी चतुर्थी के शुभ मुहूर्त व योग 
पंचांग के अनुसार, भादौ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 14 अगस्त, रविवार की रात 10:35 से शुरू होगी, जो 15 अगस्त, सोमवार की रात 09:01 तक रहेगी। उदयातिथि के आधार पर संकष्टी चतुर्थी व्रत 15 अगस्त को ही किया जाएगा। इस दिन गद और धृति नाम के शुभ योग भी रहेंगे। साथ ही चंद्रमा और गुरु ग्रह की युति मीन राशि में होने से गजकेसरी नाम का राजयोग भी इस दिन बनेगा। 

 शुभ मुहूर्त-

  1.  15 अगस्त को अभिजित मुहूर्त दोपहर 11.59 से दोपहर12.52 तक रहेगा।
  2.  15 अगस्त को धृति योग सुबह से लेकर रात 11.24 तक रहेगा।
  3.  15 अगस्त को व्रत पूजन मुहूर्त रात 09.27 से आरंभ होगा।  

इस समय होगा चंद्रोदय 
पंचांग के अनुसार, 15 अगस्त, सोमवार को वाराणसी में चंद्रमा का उदय रात 09:03 मिनट पर होगा। अलग-अलग शहरों के अनुसार, इस समय में थोड़ा फेर हो सकता है। रात को चंद्रोदय होने के बाद पूजा की जाएगी, इसके बाद ही महिलाओं का व्रत पूर्ण होगा।

 
इस विधि से करें संकष्टी चतुर्थी का व्रत
सोमवार की सुबह स्नान आदि करने के बाद हाथ में जल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें।  इसके बाद चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान श्रीगणेश का चित्र या मूर्ति स्थापित करें। 

शुद्ध घी का दीपक जलाएं और श्रीगणेश को कुंकुम से तिलक लगाएं। फूल माला पहनाएं और पूजन सामग्री जैसे अबीर, गुलाल, रोली, सुपारी जनेऊ, इत्र आदि चीजें एक-एक कर चढ़ाते रहें। 

इसके बाद 11 या 21 दूर्वा की गांठ पर हल्दी लगाकर श्रीगणेश को चढ़ाएं। ये मंत्र भी बोलें- इदं दुर्वादलं ऊं गं गणपतये नमः। पूजा के बाद श्रीगणेश को लड्डू का भोग लगाएं और आरती करें। 

रात को चंद्रमा उदय होने पर दर्शन कर अपना व्रत पूर्ण करें। इस तरह विधि-विधान से संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से आपकी हर मनोकामना पूरी हो सकती है। 


 

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