रथयात्रा 2022: 1 जुलाई से शुरू हो रही जगन्नाथ रथ यात्रा, जानें क्यों निकलती है और क्या है महत्व

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हिंदू पंचांग के मुताबिक, जगन्नाथ रथ यात्रा हर साल आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से शुरू होती है, जो कि एकादशी तक चलती है। इस साल आषाढ़ शुक्ल पक्ष द्वितीया 1 जुलाई यानी शुक्रवार को पड़ रही है।

इसलिए रथ यात्रा इसी दिन से शुरू होगी। रथ यात्रा का समापन एकादशी के दिन 10 जुलाई को होगा।  

 Newspoint24/ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी दुर्गा मंदिर , दुर्गा कुंड ,वाराणसी 


वाराणसी। ओडिशा में स्थित पुरी धाम चार प्रमुख धामों में से एक है। इसे मोक्ष देने वाला भी कहा गया है। यहां भगवान जगन्नाथ विराजित हैं, जिन्हें विष्णु जी का अवतार कहा जाता है। जगन्नाथ पुरी में हर साल रथ यात्रा निकाली जाती है, जो न सिर्फ ओडिशा बल्कि पूरे भारत और विदेशों में भी प्रसिद्ध है। पुरी में निकलने वाली भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा बेहद भव्य रूप में निकलती है। इसे रथ महोत्सव भी कहा जाता है। इसमें देश-विदेश से आए लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं। 

कब निकलती है जगन्नाथ रथ यात्रा?
हिंदू पंचांग के मुताबिक, जगन्नाथ रथ यात्रा हर साल आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से शुरू होती है, जो कि एकादशी तक चलती है। इस साल आषाढ़ शुक्ल पक्ष द्वितीया 1 जुलाई यानी शुक्रवार को पड़ रही है। इसलिए रथ यात्रा इसी दिन से शुरू होगी। रथ यात्रा का समापन एकादशी के दिन 10 जुलाई को होगा।  

क्यों निकलती है रथ यात्रा?
मान्यता है कि ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा के दिन भगवान जगन्नाथ का जन्म होता है। उस दिन जगन्नाथ को बड़े भाई बलराम जी और बहन सुभद्रा के साथ सिंहासन से उतार कर स्नान मंडप में ले जाते हैं। यहां 108 कलशों से उन्हें नहलाया जाता है। कहा जाता है कि इस स्नान से भगवान बीमार हो जाते हैं, जब 15 दिन तक उन्हें एक अलग कक्ष में रखा जाता है। इस दौरान भगवान जगन्नाथ को मंदिर के कुछ खास पुजारियों के अलावा कोई नहीं देख सकता। 15 दिन के बाद भगवान जगन्नाथ स्वस्थ हो जाते हैं और आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को बलराम जी तथा बहन सुभद्रा के साथ रथ पर बैठकर नगरवासियों को दर्शन देने निकलते हैं।

क्या है रथ यात्रा का महत्व? 
सनातन धर्म में इस रथ यात्रा का बड़ा महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि जो भी व्यक्ति रथ यात्रा में शामिल होता है वो जन्म मरण के चक्र से मुक्त होकर मोक्ष धाम चला जाता है। इसके साथ ही जो भी इस रथ यात्रा में शामिल होता है भगवान जगन्नाथ स्वयं उसके सारे दुख दूर कर देते हैं। इतना ही नहीं उसे कई यज्ञों का फल एक साथ मिल जाता है।


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