रक्षाबंधन भद्रा में नहीं होगा : जानिए कब बंधे राखी 11 या 12 अगस्त को, पढ़ें भद्रा में क्यों नहीं बांधी जाती राखी ? 

 Rakshabandhan will not be in Bhadra: Know when Rakhi is tied on 11th or 12th August, read why Rakhi is not tied in Bhadra?

शास्त्रों के अनुसार भद्रा चाहे कहीं भी रहे लेकिन श्रावणी तथा  रक्षाबंधन भद्रा में नहीं किया जा सकता है।

भद्रा रहित पूर्णिमा में रक्षाबंधन करने का शास्त्रीय मत है।

इस बार पुर्णिमा 11अगस्त को प्रातः 09:35 से शुरू हो रहा है जो कि 12 अगस्त को प्रातः 07:17 तक रहेगा।

और 11 अगस्त को भद्रा भी प्रातः 09:35 से शुरू हो रहा है जो कि उसी दिन रात्रि 08:25 तक पाताल मे रहेगा।

Newspoint24/ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी दुर्गा मंदिर , दुर्गा कुंड ,वाराणसी 

 

वाराणसी। शास्त्रों के अनुसार भद्रा चाहे कहीं भी रहे लेकिन श्रावणी तथा  रक्षाबंधन भद्रा में नहीं किया जा सकता है। भद्रा रहित पूर्णिमा में रक्षाबंधन करने का शास्त्रीय मत है। इस बार पुर्णिमा 11अगस्त को प्रातः 09:35 से शुरू हो रहा है जो कि 12 अगस्त को प्रातः 07:17 तक रहेगा। और 11 अगस्त को भद्रा भी प्रातः 09:35 से शुरू हो रहा है जो कि उसी दिन रात्रि 08:25 तक पाताल मे रहेगा।

धर्म सिंधु के अनुसार -

"अथ रक्षाबंधनमस्यामेव पूर्णिमायां भद्रा रहितायां त्रिमुहूर्ताधिकोदय व्यापिन्यामपराह्णे प्रदोषे वा कार्यम्"।।

"उदये त्रिमुहूर्त न्यूनत्वे पूर्वेद्यु भद्रा रहिते प्रदोषादि काले कार्यम्"।।
अर्थात- श्रावण पूर्णिमा में  उदयकाल में 3 मुहूर्त से अधिक रहने वाली भद्रा जब न रहे तब अपराह्ण में अथवा प्रदोष में रक्षाबंधन करना चाहिए, उदय काल में तीन मुहूर्त से कम पूर्णिमा के रहने पर पहले दिन भद्रा के न रहने पर प्रदोषादि काल में रक्षा बंधन करें। 

 निर्णय सिन्धु के अनुसार भी- 
"तत्सत्वे तु रात्रावपि तदन्ते कुर्यादिति निर्णयामृते।" 
 "एवं इदं प्रतिपद्युतायां न कार्यम्"।। 

अर्थात- रक्षाबंधन का कार्य रात्रि में भी किया जा सकता है, किंतु भद्रा और प्रतिपदा में कदापि नहीं करना चाहिए। यद्यपि 11 अगस्त को भद्रा पाताल लोक में है, किंतु श्रावणी, रक्षाबंधन एवं फाल्गुनी में यह परिहार मान्य नहीं है। अत:11अगस्त को भद्रा की समाप्ति 08 बजकर 25 मिनट के बाद रक्षाबंधन कर सकते है या फिर 12अगस्त को प्रातः 07:17 तक रक्षाबंधन का पर्व मनाये, लेकिन भद्रा काल मे या प्रतिपदा मे रक्षाबंधन कदापि नहीं करना चाहिए।

इसलिए दूसरे दिन 12 तारीख शुक्रवार को ही रक्षाबंधन का त्योहार मनाना श्रेष्ठ रहेगा। 

यदि को रक्षाबंधन - सुण  जिमाने  का काम 11 तारीख रात्रि काल को करना   है तो कर सकता है, लेकिन रात 8:53 के पश्चात।

उदया तिथि पूर्णिमा 12 अगस्त शुक्रवार को प्रातः 7:15 बजे तक ही है अतः 12 अगस्त शुक्रवार को 7:30 बजे तक रक्षाबंधन और सुन जिमाने का अपने घर का सगुण करके उदया तिथि के हिसाब से दिन भर रक्षाबंधन का कार्य चलता रहेगा।

शास्त्रों में यही कहा गया है कि जो उदया तिथि है उसी का मान दिन भर रहेगा।  अतः मांगलिक कार्य पूरे दिन मानाया जाएगा।

 इसलिए रक्षाबंधन का त्यौहार एवं श्रावणी कर्म आप लोग 12 तारीख शुक्रवार को ही मनाएं पूरा दिन शुद्ध रहेगा।   

भद्रा में क्यों नहीं बांधी जाती राखी?

रक्षाबंधन पर भद्राकाल में राखी नहीं बांधनी चाहिए। इसके पीछे एक पौराणिक कथा भी है। लंकापति रावण की बहन ने भद्राकाल में ही उनकी कलाई पर राखी बांधी थी और एक वर्ष के अंदर उसका विनाश हो गया था। भद्रा शनिदेव की बहन थी।भद्रा को ब्रह्मा जी से यह श्राप मिला था कि जो भी भद्रा में शुभ या मांगलिक कार्य करेगा, उसका परिणाम अशुभ ही होगा।

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