30 मई सोमवार को सोमवती अमावस्या पर एक नहीं बल्कि 6 शुभ योग बन रहे हैं

Newspoint24/ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी दुर्गा मंदिर , दुर्गा कुंड ,वाराणसी
वाराणसी। 30 मई सोमवार को एक ही दिन में 3 पर्व एक साथ होने के कारण इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। 30 सालों बाद शनि जयंती और सोमवती अमावस्या का संयोग बन रहा है। ज्येष्ठ अमावस्या को शनिदेव का जन्मोत्सव मनाया जाता है। साथ ही इसी दिन वट सावित्री व्रत रखकर शनिदेव के भाई यमराज और अपने मृत पति को जीवित करने के लिए यमराज से वरदान मांगने वाली सती सावित्री की पूजा की जाती है। चूंकि अमावस्या के दिन सोमवार भी है और सोमवार को भगवान भोलेनाथ की पूजा का विधान है, इसलिए इस दिन शिव मंदिरों में भोलेनाथ की भी पूजा की जाएगी।
इस दिन महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए वट सावित्री का व्रत करेंगी। इसके साथ ही इस दिन शनि दोष से पीड़ित शनि देव की पूजा करेंगे। इसी दिन सोमवती अमावस्या होने से तीर्थ में स्नान करना चाहिए। साथ ही जरुरतमंदो को दान करना चाहिए इससे शुभ फल प्राप्त होते है। इससे पितृदेवता प्रसन्न होते है। वहीं एक ही दिन में अनेक देवी-देवताओं की कृपा पाने के लिए यह दिन विशेष फलदायी माना जा रहा है। इस दिन कई शुभ योग भी बनने जा रहे है। जो इसका महत्व और अधिक बढ़ा देते है।
इस दिन होगा तिथि-वार और नक्षत्रों का शुभ संयोग
ज्योतिषाचार्य के अनुसार सोमवार को सर्वार्थ सिद्धि योग में अमावस्या आरंभ होने जा रही है। साथ ही इस दिन बुधादित्य, सुकर्मा, वर्धमान, केदार नाम के अन्य शुभ योग भी बन रहे है। वहीं वृषभ राशि में सूर्य और बुध के होने से बुधादित्य योग नामक राजयोग बन रहा है। 30 मई को एक नहीं बल्कि 6 शुभ योग बन रहे है। जिसके कारण यह तिथि और दिन और भी शुभ फल देने वाले बन गए है। इसके साथ-साथ शनि स्वयं की राशि कुंभ में है और देवगुरु बृहस्पति भी अपनी राशि मीन में रहेंगे। इन दोनो ग्रहों का अपनी ही राशि में होना शुभ प्रभावों को और भी अधिक बढ़ाएगा।
सोमवती अमावस्या के दिन इस जाप का उच्चारण करें :--
अनंतं वासुकिं शेषंपद्य नाभं च कम्बलं ।
शंख पालं धृत राष्ट्रं तक्षकं कालियंतथा।।
एतानि नव नामानि नागानां चमहात्मनां।
सायं काले पठेन्नित्यं प्रात: कालेविशेषत:।।
तस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भयेत्।
चंद्रमा कारक है धन, मन और औषधि का
ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस बार 30 मई को अमावस्या तिथि पड़ रही है और उसी दिन सोमवार भी है। सोमवार चंद्रमा का दिन होता है और चंद्रमा औषधि, धन और मन का कारक ग्रह माना जाता है। वहीं अमावस्या पितरों की तिथि मानी जाती है। पितरो का निवास चंद्रमा के पिछले भाग में ही होता है। इसलिए पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध आदि जरुर करना चाहिए। इस दिन चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में होने के कारण शुभ फल देगा। इस बार अमावस्या वृषभ राशि में ही होगी। वृषभ राशि का स्वामी शुक्र है जो सूर्य और चंद्रमा का मित्र है। इन ग्रहों की स्थिति मनचाही सफलता देने वाली है।