कन्या पूजा के बिना नवरात्रि उत्सव अधूरा: जानें कितनी कन्याओं की पूजा क्या फल मिलता है? 

Navratri festival is incomplete without Kanya Puja: Know how many girls worship what results?
हिंदू धर्म में छोटी लड़कियों को माता का स्वरूप माना जाता है। यही कारण है कि नवरात्रि के दौरान कन्या पूजा विशेष रूप से की जाती है। इसके बिना नवरात्रि उत्सव अधूरा माना जाता है। नवरात्रि के दौरान अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजा विशेष रूप से की जाती है। इस बार अष्टमी तिथि 3 अक्टूबर, सोमवार और नवमी तिथि 4 अक्टूबर, मंगलवार को है। ये तिथियां कन्या पूजा के लिए श्रेष्ठ मानी गई हैं। आगे जानिए कन्या पूजा की विधि, मंत्र और इससे मिलने वाले फलों के बारे में…

Newspoint24/ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी दुर्गा मंदिर , दुर्गा कुंड ,वाराणसी
 

वाराणसी। हिंदू धर्म में छोटी लड़कियों को माता का स्वरूप माना जाता है। यही कारण है कि नवरात्रि के दौरान कन्या पूजा विशेष रूप से की जाती है। इसके बिना नवरात्रि उत्सव अधूरा माना जाता है। नवरात्रि के दौरान अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजा विशेष रूप से की जाती है। इस बार अष्टमी तिथि 3 अक्टूबर, सोमवार और नवमी तिथि 4 अक्टूबर, मंगलवार को है। ये तिथियां कन्या पूजा के लिए श्रेष्ठ मानी गई हैं। आगे जानिए कन्या पूजा की विधि, मंत्र और इससे मिलने वाले फलों के बारे में…

ये है कन्या पूजन की विधि और मंत्र 
- कन्या पूजन करने के पहले कन्याओं को उनके घर जाकर आदरपूर्वक निमंत्रण दें। जब कन्याएं घर आ जाएं तो पहले उन्हें उचित स्थान पर बैठाएं और देवी की तरह सम्मान दें। 
- कन्या पूजन के लिए जो भोजन बनवाएं, उसमें खीर या हलवा अवश्य होना चाहिए। कन्याओं को प्रेम पूर्वक भोजन करवाएं और इसके बाद तिलक लगाएं और पैरों में महावर या मेहंदी लगाएं। 
- इसके बाद हाथ में फूल लेकर यह मंत्र बोलें- 


मंत्राक्षरमयीं लक्ष्मीं मातृणां रूपधारिणीम्।
नवदुर्गात्मिकां साक्षात् कन्यामावाहयाम्यहम्।।
जगत्पूज्ये जगद्वन्द्ये सर्वशक्तिस्वरुपिणि।
पूजां गृहाण कौमारि जगन्मातर्नमोस्तु ते।।


- यह फूल कन्या के चरणों में रखकर प्रणाम करें। इसके बाद कन्या को अपनी इच्छा अनुसार, उपहार देकर विदा करें। इस प्रकार कन्या पूजन से देवी प्रसन्न होती हैं और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

जानें कितनी कन्याओं की पूजा क्या फल मिलता है? 
धर्म ग्रंथों के अनुसार नौ वर्ष की कन्याएं साक्षात माता का स्वरूप मानी जाती है। पुराणों में 1 कन्या की पूजा से जीव में ऐश्वर्य यानी सुख-सुविधा मिलती है। 2 की पूजा से भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है। 3 की पूजा से धर्म, अर्थ (पैसा) व काम, 4 की पूजा से राज्यपद यानी कोई बड़ा पद मिलता है। 5 कन्याओं की पूजा से विद्या, 6 की पूजा से छ: प्रकार की सिद्धि और सात की पूजा से सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। 8 कन्याओं की पूजा से धन-संपदा और 9 की पूजा से पृथ्वी के प्रभुत्व की प्राप्ति होती है।

किस आयु की कन्या को क्या कहते हैं?
पुराणों के अनुसार, कन्या पूजा के लिए आमंत्रित कन्याओं की उम्र दो से कम और दस वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। धर्म ग्रंथों में 2 साल की कन्या को कुमारी, 3 वर्ष की कन्या को त्रिमूर्ति, 4 वर्ष की कन्या को कल्याणी, 5 वर्ष की कन्या को रोहिणी, 6 साल की कन्या को कालका देवी, सात वर्ष की कन्या को माँ चण्डिका, 8 साल की कन्या को माँ शाम्भवी, 9 साल की कन्या को दुर्गा और 10 वर्ष की कन्या को सुभद्रा कहा गया है।

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