जानें आप के शहर में कब होंगे चंद्र दर्शन : करवा चौथ पर रोहिणी नक्षत्र में मौजूद चंद्रमा की पूजा करना शुभ संयोग

Know when there will be moon sighting in your city, auspicious coincidence to worship the moon present in Rohini Nakshatra on Karwa Chauth

Newspoint24/ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी दुर्गा मंदिर , दुर्गा कुंड ,वाराणसी 
 

आज करवा चौथ का व्रत है। महिलायें अखंड सुहाग के लिए सुबह से व्रत रखेंगी। रात में चांद की पूजा करने के बाद ये व्रत पूरा हो जाएगा। खास बात ये है कि इस साल गुरु ग्रह खुद की राशि में है और ये व्रत गुरुवार को ही है। ये शुभ संयोग 1975 के बाद बना है। आज चंद्रमा अपने ही नक्षत्र में रहेगा। करवा चौथ पर रोहिणी नक्षत्र में मौजूद चंद्रमा की पूजा करना शुभ संयोग है।

  जानिए देश के प्रमुख शहरों में कितनी बजे निकलेगा चांद

chndr drshn


चांद न दिखे तो भी कर सकते हैं पूजा
ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी दुर्गा मंदिर , दुर्गा कुंड ,वाराणसी 
का कहना है, सूर्य-चंद्रमा कभी अस्त नहीं होते। पृथ्वी के घूमने की वजह से बस दिखाई नहीं देते। देश के कई हिस्सों में भौगोलिक स्थिति या मौसम की खराबी के चलते चंद्रमा दिखाई नहीं देता। ऐसे में ज्योतिषीय गणना की मदद से चांद के दिखने का समय निकाला जाता है। उस हिसाब से पूर्व-उत्तर दिशा में पूजा कर के अर्घ्य देना चाहिए। इससे दोष नहीं लगता।

Karva Chauth
पति के लिए व्रत की परंपरा सतयुग से
पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखने की परंपरा सतयुग से चली आ रही है। इसकी शुरुआत सावित्री के पतिव्रता धर्म से हुई। जब यम आए तो सावित्रि ने अपने पति को ले जाने से रोक दिया और अपनी दृढ़ प्रतिज्ञा से पति को फिर से पा लिया। तब से पति की लंबी उम्र के लिए व्रत किए जाने लगे।

दूसरी कहानी पांडवों की पत्नी द्रौपदी की है। वनवास काल में अर्जुन तपस्या करने नीलगिरि के पर्वत पर चले गए थे। द्रौपदी ने अुर्जन की रक्षा के लिए भगवान कृष्ण से मदद मांगी। उन्होंने द्रौपदी को वैसा ही उपवास रखने को कहा जैसा माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए रखा था। द्रौपदी ने ऐसा ही किया और कुछ ही समय के पश्चात अर्जुन वापस सुरक्षित लौट आए।


वामन पुराण के मुताबिक व्रत कथा
वामन पुराण में बताई व्रत की कथा में वीरावती सौभाग्य और अच्छी संतान के लिए करवा चौथ का उपवास रखकर चंद्रमा निकलने का इंतजार करती है। भूख-प्यास से परेशान बहन को बेहोश होते देख उसके भाई से रहा नहीं जाता। वो मशाल लेकर बरगद पर चढ़ जाता है और पत्तों के बीच से उजाला करता है। जिसे वीरावती चंद्रमा की रोशनी समझकर व्रत खोल लेती है। इसके बाद वीरावती के पति की मृत्यु हो जाती है। इसके बाद देवी पार्वती वीरावती को फिर से ये व्रत करने को कहती हैं। जिससे वीरावती को सौभाग्य मिलता है और उसका पति फिर जिंदा हो जाता है।


अच्छी फसल की कामना के लिए यह व्रत शुरू हुआ
ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी बताते हैं कि ये त्योहार रबी की फसल की शुरुआत में होता है। इस वक्त गेहूं की बुवाई भी होती है। गेहूं के बीज को मिट्टी के बड़े बर्तन में रखते हैं, जिसे करवा भी कहते हैं। इसलिए जानकारों का मत है कि ये पूजा अच्छी फसल की कामना के लिए शुरू हुई। बाद में महिलाएं सुहाग के लिए व्रत रखने लगीं। ये भी कहा जाता है कि पहले सैन्य अभियान खूब होते थे। सैनिक ज्यादातर समय घर से बाहर रहते थे। ऐसे में पत्नियां अपने पति की सुरक्षा के लिए करवा चौथ का व्रत रखने लगीं।

जानिए करवा चौथ से जुड़ी परंपराए…

करवा चौथ पर चांद की ही पूजा क्यों ?
चंद्रमा औषधियों का स्वामी है। चांद की रोशनी से अमृत मिलता है। इसका असर संवेदनाओं और भावनाओं पर पड़ता है। पुराणों के मुताबिक चंद्रमा प्रेम और पति धर्म का भी प्रतिक है। इसलिए सुहागनें पति की लंबी उम्र और दांपत्य जीवन में प्रेम की कामना से चंद्रमा की पूजा करती हैं।

पति और चंद्रमा को छलनी से क्यों देखते हैं?
भविष्य पुराण की कथा के मुताबिक चंद्रमा को गणेश जी ने श्राप दिया था। इस कारण चतुर्थी पर चंद्रमा को देखने से दोष लगता है। इससे बचने के लिए चांद को सीधे नहीं देखते और छलनी का इस्तेमाल किया जाता है।

करवे से पानी क्यों पीते हैं ?
इस व्रत में इस्तेमाल होने वाला करवा मिट्टी से बना होता है। आयुर्वेद में मिट्टी के बर्तन के पानी को सेहत के लिए फायदेमंद बताया है। दिनभर निर्जल रहने के बाद मिट्टी के बर्तन के पानी से पेट में ठंडक रहती है। धार्मिक नजरिये से देखा जाए तो करवा पंचतत्वों से बना होता है। इसलिए ये पवित्र होता है।

 

यह भी पढ़ें :

करवा चौथ पर अपनी राशि अनुसार लगाएं श्रीगणेश को भोग, घर आएगी सुख-समृद्धि

करवाचौथ पर इस बार शुक्र अस्त का प्रभाव, नवविवाहित महिलाएं इस साल व्रत की शुरूआत न करें

करवा चौथ पर अपनी राशि अनुसार लगाएं श्रीगणेश को भोग, घर आएगी सुख-समृद्धि

Share this story