गुरु पूर्णिमा 2022 : चार राजयोग के साथ बुधादित्य योग में गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा गुरु पूर्णिमा पर ये उपाय करें

Guru Purnima 2022: The festival of Guru Purnima will be celebrated in Budhaditya Yoga with four Raja Yogas, take these measures on Guru Purnima

आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है । इस बार मंगल, बुध, गुरु और शनि की स्थिति चार राजयोग का निर्माण कर रही है इसके अतिरिक्त भी बुधादित्य आदि कई शुभ योग बन रहे हैं।

चार राजयोग में रुचक, भद्र, हंस, और शश राजयोग के साथ बुधादित्य योग में गुरु पूर्णिमा का पर्व इस बार मनाया जाएगा। 

Newspoint24/ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी दुर्गा मंदिर , दुर्गा कुंड ,वाराणसी
 

वाराणसी। गुरु पूर्णिमा पर्व की परंपरा प्राचीन समय से निभाई जा रही है। गुरु के महत्व को समझने के लिए ही हर साल ये पर्व मनाया जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस दिन जो व्यक्ति गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करता है, उसका जीवन सफल हो जाता है। हिंदू धर्म में गुरु को भगवान का दर्जा दिया गया है, क्योंकि गुरु ही अपने शिष्यों को अज्ञान के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाते हैं। इस दिन विशेष आयोजन भी किए जाते हैं जिसमें धर्म व आध्यात्मिक गुरुओं का सम्मान किया जाता है। 

बन रहे हैं ये शुभ योग 
 ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी दुर्गा मंदिर , दुर्गा कुंड ,वाराणसी अनुसार, द्वापर युग में इसी तिथि अनेक ग्रंथों की रचना करने वाले महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था, उन्होंने पुराणों की रचना की एवं वेदों का विभाजन भी किया, तभी से उनके सम्मान में आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है । इस बार मंगल, बुध, गुरु और शनि की स्थिति चार राजयोग का निर्माण कर रही है इसके अतिरिक्त भी बुधादित्य आदि कई शुभ योग बन रहे हैं। चार राजयोग में रुचक, भद्र, हंस, और शश राजयोग के साथ बुधादित्य योग में गुरु पूर्णिमा का पर्व इस बार मनाया जाएगा। 

गुरु न हो तो इस ग्रह की पूजा से भी मिल सकते हैं शुभ फल
यदि आपका कोई धार्मिक या आध्यामित्क गुरु न हो तो आप देवगुरु बृहस्पति यानी गुरु ग्रह की पूजा भी कर सकते हैं। जिन लोगों की कुंडली में गुरु ग्रह प्रतिकूल स्थिति में हो, उन्हें तो गुरु ग्रह की पूजा विशेष रूप से करनी चाहिए। जिन लोगों के विवाह में परेशानियां आ रही हो या बार-बार बात बनते-बनते बिगड़ जाती है वे यदि गुरु पूर्णिमा पर गुरु ग्रह से संबंधित उपाय करें तो उनके विवाह के योग जल्दी ही बन सकते हैं।


महर्षि वेदव्यास को समर्पित है ये उत्सव
गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। वो इसलिए क्योंकि मान्यता के अनुसार, इसी तिथि पर महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था। महर्षि वेदव्यास ने ही महाभारत सहित अन्य ग्रंथों की रचना की। इन्होंने ने ही वेदों को अलग-अलग किया और इनके शिष्यों ने उपनिषदों की रचना की। महर्षि वेदव्यास कौरवों और पांडवों के गुरु भी थे और पूर्वज भी। उन्हीं की स्मृति में आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। महर्षि वेदव्यास ने भविष्योत्तर पुराण में गुरु पूर्णिमा के बारे में लिखा है-

मम जन्मदिने सम्यक् पूजनीय: प्रयत्नत:।
आषाढ़ शुक्ल पक्षेतु पूर्णिमायां गुरौ तथा।।
पूजनीयो विशेषण वस्त्राभरणधेनुभि:।
फलपुष्पादिना सम्यगरत्नकांचन भोजनै:।।
दक्षिणाभि: सुपुष्टाभिर्मत्स्वरूप प्रपूजयेत।
एवं कृते त्वया विप्र मत्स्वरूपस्य दर्शनम्।।

अर्थात- आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को मेरा जन्म दिवस है। इसे गुरु पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन पूरी श्रृद्धा के साथ गुरु को कपड़े, आभूषण, गाय, फल, फूल, रत्न, धन आदि समर्पित कर उनका पूजन करना चाहिए। ऐसा करने से गुरुदेव में मेरे ही स्वरूप के दर्शन होते हैं।

गुरु को माना गया है भगवान से भी श्रेष्ठ
हिंदू धर्म में गुरु को भगवान से भी श्रेष्ठ माना गया है क्योंकि ही हमारे जीवन को सही दिशा प्रदान करता है और समाज को कुरीतियों से दूर कर सच्चाई का मार्ग दिखाता है। संत कबीर के इस दोहे से गुरु का महत्व पता चलता है।

गुरु गोविन्द दोऊ खड़े , काके लागू पाय|
बलिहारी गुरु आपने , गोविन्द दियो बताय||


अर्थ – संत कबीर के अनुसार, जीवन में कभी ऐसी स्थिति आ जाये की गुरु और गोविन्द (ईश्वर) एक साथ खड़े हों तो सबसे पहले गुरु को प्रणाम करना चाहिए क्योंकि गुरु ने ही गोविन्द से हमारा परिचय कराया है इसलिए गुरु का स्थान गोविन्द यानी भगवान से भी ऊँचा है।

गुरु प्रतिकूल हो तो ऐसा होता है लाइफ पर असर


1. जिस व्यक्ति की कुंडली में गुरु ग्रह अशुभ होता है उसके विवाह में कई परेशानियां आती हैं। कई बार बात बनते-बनते बिगड़ जाती है। या काफी उम्र हो जाने के बाद भी मनचाहा जीवनसाथी नहीं मिल पाता।

2. गुरु अशुभ स्थिति में हो तो ऐसे लोगों का वैवाहिक जीवन भी अशांति से भरा होता है। या तो पति-पत्नी में रोज विवाद होता है या विवाह संबंध टूट जाता है। कई बार स्थिति और भी बिगड़ जाती है।

3. गुरु ग्रह अगर अशुभ हो तो व्यक्ति को पेट से सबंधित रोग, अपच, पेट दर्द, एसिडिटी, कमज़ोर पाचन तंत्र, कैंसर जैसी बीमारी होने का खतरा बना रहता है।

 

गुरु पूर्णिमा पर ये उपाय करें (Guru Purnima Ke Upay)


1. गुरु ग्रह से संबंधित शुभ फल पाने के लिए गुरु पूर्णिमा पर केले का एक पौधा लगाएं और रोज उस पर जल चढ़ाएं और देखभाल करें। केले का पौधा गुरु ग्रह से संबंधित है। प्रत्येक गुरुवार हल्दी मिश्रित जल भी केले के पौधे पर चढ़ाएं। इससे आपको गुरु ग्रह से संबंधित शुभ फल मिलने लगेंगे।


2. गुरु पूर्णिमा पर भगवान विष्णु की पूजा करें और व्रत भी रखें। इस दिन पीले कपड़े पहनें और ब्राह्मणों को पीले वस्त्रों का दान करें। संभव हो तो किसी मंदिर में केसरिया ध्वज दान करें। इन उपायों से भी गुरु ग्रह से लाभ मिलने लगता है।


3. गुरु पूर्णिमा पर जरुरतमंदों को पीले फल जैसे केले, आम आदि का दान करें। पीला अनाज जैसे दाल का दान करें।

 4. गुरु पूर्णिमा से शुरू कर नीचे लिखे मंत्रों में से किसी एक का रोज जाप करना चाहिए-बृहस्पति एकाक्षरी बीज मंत्र- ऊं बृं बृहस्पतये नम:।


बृहस्पति तांत्रिक मंत्र- ऊं ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:।।
बृहस्पति गायत्री मंत्र- ऊं आंगिरसाय विद्महे दिव्यदेहाय धीमहि तन्नो जीव:प्रचोदयात्।।


इन मंत्रों का जाप उत्तर दिशा की ओर मुख करके किया जाए तो शुभ रहता है। 

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