पंचांग भेद के कारण राधा जन्माष्टमी पर्व 2 दिन यानी 3 व 4 सितंबर को मनाया जाएगा, जानिए, राधा अष्टमी का शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि
Newspoint24/ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी दुर्गा मंदिर , दुर्गा कुंड ,वाराणसी
वाराणसी। धर्म ग्रंथों के अनुसार, कृष्ण जन्माष्टमी के पंद्रह दिन बाद राधा जन्माष्टमी का त्योहार भी मथुरा, वृंदावन और बरसाने में बड़े जोर-शोर के साथ मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इसी तिथि पर श्रीकृष्ण की प्रेयसी राधा का जन्म हुआ था। इस बार पंचांग भेद के कारण ये पर्व 2 दिन यानी 3 व 4 सितंबर को मनाया जाएगा। पुराणों के अनुसार, राधा जी स्वंय लक्ष्मी जी का अंश थी। आगे जानिए, राधा अष्टमी का शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि
कब से कब तक रहेगी अष्टमी तिथि?
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि 3 सितंबर, शनिवार की दोपहर12:28 से शुरू होगी जो 4 सितंबर, रविवार की सुबह 10:40 तक रहेगी। कुछ विद्वानों का मत है कि राधा जी का जन्म रात में हुआ था, इसलिए ये व्रत 3 सितंबर को मनाया जाना चाहिए, वहीं कुछ का मत है 4 सितंबर को सूर्योदयव्यापिनी तिथि होने से ये व्रत इसी दिन मनाया जाना चाहिए।
राधा जन्माष्टमी का महत्व
धर्म ग्रंथों के अनुसार, राधा रानी के बिना भगवान कृष्ण जी की पूजा अधूरी मानी गई है। जो लोग कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रखते हैं, उन्हें राधा अष्टमी का व्रत भी अवश्य रखना चाहिए। ऐसी भी मान्यता है कि राधा जन्माष्टमी के व्रत के बिना कृष्ण जन्माष्टमी के व्रत का पूरा फल प्राप्त नहीं होता। राधा जन्माष्टमी पर राधा-कृष्ण के युगल स्वरूप की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से सभी सुखों की प्राप्ति होती है।
इस विधि से करें राधा जन्माष्टमी का व्रत और पूजा
- श्रीराधा जन्माष्टमी की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। किसी साफ स्थान पर भगवान श्रीकृष्ण और देवी राधा की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद शुद्ध जल से अभिषेक करें।
- अभिषेक के बाद एक-एक करके पूजन सामग्री जैसे- अबीर, गुलाल, रोली, हल्दी, मेहंदी आदि राधाकृष्ण को अर्पित करें। अपनी इच्छा अनुसार वस्त्र चढ़ाएं। वस्त्र न हो तो पूजा में उपयोग आने वाला लाल धागा भी चढ़ा सकते हैं।
- इसके बाद शुद्ध घी का दीपक और धूप जलाएं। इलाइची, लौंग, इत्र, जनेऊ, मौसमी फल आदि चीजें अर्पित करें। इसके बाद अपनी इच्छा अनुसार भोग लगाएं। दिन में इस प्रकार पूजा करने के बाद रात में जागरण करें।
- जागरण के दौरान भक्ति पूर्वक श्रीकृष्ण व राधा के भजनों को सुनें। शास्त्रों के अनुसार, जो मनुष्य इस प्रकार श्रीराधाष्टमी का व्रत करता है उसके घर सदा लक्ष्मी निवास करती है। यह व्रत सुख-समृद्धि प्रदान करने वाला है।