Dhanteras 2022:  कुबेर जी की पूजा करते समय रखें इन बातों का ध्यान जानें पूजा विधि 

Kuber Puja

Newspoint24/ ज्योतिषाचार्य प. बेचन त्रिपाठी दुर्गा मंदिर , दुर्गा कुंड ,वाराणसी  
 

Dhanteras 2022: हिन्दू धर्म में पूजा-पाठ को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसमें भी किसी विशेष दिन पर की जाने वाली पूजा का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। पंचांग के अनुसार 22 और 23 अक्टूबर (Dhanteras 2022 Date) के दिन धनतेरस पर्व मनाया जाएगा। इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा का विधान है। इस दिन विशेष पूजा करने से भक्तों को लाभ मिलता है और उन्हें सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन शुभ मुहूर्त में की गई पूजा से भगवान कुबेर और माता लक्ष्मी प्रसन्न होते हैं।

धनतेरस के दिन विशेष रूप से भगवान कुबेर की पूजा की जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें शास्त्रों में धन का देवता या देवताओं के धन का खजांची इत्यादि उपाधियों से वर्णित किया गया है। मान्यताओं के अनुसार उन्हें भगवान ब्रह्मा के समस्त सम्पत्ति का स्वामी बनाया गया था।

आइए जानते हैं क्यों होती है धनतेरस के दिन कुबेर की पूजा और क्या है इनकी पूजा के नियम

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धनतेरस पर क्यों की जाती है भगवान कुबेर की पूजा  
किवदंतियों के अनुसार महामुनि विश्रवा ने भारद्वाज जी की कन्या इलविला का पाणिग्रहण संस्कार किया था, तब कुबेर जी की उत्पत्ति हुई थी। माना जाता है कि भगवान कुबेर का धन किसी खजाने के रूप गड़ा हुआ या स्थिर स्थिति में होता है। साथ ही भगवान कुबेर को उत्तर दिशा का लोकपाल भी नियुक्त किया गया था। धनतेरस के दिन भगवान कुबेर की पूजा से माता लक्ष्मी अत्यधिक प्रसन्न होती हैं और भक्तों को धन, ऐश्वर्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

इसमें इसकी छवि है: Krish.Sunil Kumar on Twitter

इस तरह करें भगवान कुबेर की पूजा 
धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरी के बाद भगवान कुबेर की पूजा का विधान शास्त्रों में वर्णित है। इस समय कुबेर यंत्र दक्षिण दिशा में स्थापित करें और गंगाजल के साथ विनियोग मंत्र का जाप करें। उस जल को भूमि पर अर्पित कर दें और फिर कुबेर मंत्र का शुद्ध उच्चारण करें। अंत में आरती जरूर करें। बिना आरती के पूजा सम्पन्न नहीं होती है। स्कन्द पुराण में भी भगवान विष्णु ने बताया है कि अगर कोई भक्त मंत्रहीन और क्रियाहीन पूजा करता है लेकिन प्रेम और श्रद्धा भाव से आरती करता तो उसकी पूजा सफल हो जाती है।

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