2022 शारदीय नवरात्रि कैलेण्डर, किस दिन करें माँ के किस स्वरूप की आराधना  

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Newspoint24/newsdesk

धर्म ग्रंथों के अनुसार, एक साल में दो बार प्रकट नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। पहली प्रकट नवरात्रि चैत्र मास में दूसरी आश्विन मास में मनाई जाती है। शरद ऋतु में आने से इसे शारदीय नवरात्रि (Sharadiya Navratri 2022) भी कहते हैं। इस बार शारदीय नवरात्रि का पर्व 26 सितंबर से 4 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। इन 9 दिनों में रोज देवी के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाएगी। देवी के 9 रूपों (9 Forms of Goddess Durga) का महत्व कई ग्रंथों में बताया गया है। आगे जानिए देवी के इन 9 रूपों और उनके महत्व के बारे में…

1. देवी शैलपुत्री (Goddess Shailputri)

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नवरात्रि के पहले दिन यानी आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इस बार ये तिथि 26 सितंबर, सोमवार को है। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार, देवी का यह नाम हिमालय के यहां जन्म होने से पड़ा। मां शैलपुत्री को अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। हिमालय की पुत्री होने से यह देवी प्रकृति का स्वरूप भी है। स्त्रियों के लिए इनकी पूजा करना श्रेष्ठ और मंगलकारी है।

2. मां ब्रह्मचारिणी (Goddess Brahmacharini)

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नवरात्रि के दूसरे दिन यानी आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि पर मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। इस बार ये तिथि 27 सितंबर, मंगलवार को है। देवी का यह स्वरूप तप की शक्ति का प्रतीक हैं। देवी ब्रह्मचारिणी हमें यह संदेश देती हैं कि जीवन में बिना तपस्या अर्थात कठोर परिश्रम के सफलता प्राप्त करना असंभव है क्योंकि देवी ने इस स्वरूप में तपस्या के द्वारा ही मनवांछित फल प्राप्त किए थे।

3. माता चंद्रघंटा (Goddess Chandraghanta)

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नवरात्रि के तीसरे दिन यानी आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को माता चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। इस बार ये तिथि 28 सितंबर, बुधवार को है। इनके माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसी कारण इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता है। युद्ध के दौरान देवी चंद्रघंटा ने घंटे की टंकार से असुरों को भयभीत कर दिया था। इनकी पूजा से कष्टों से मुक्ति मिलती है।

4. मां कूष्मांडा (Goddess Kushmanda)

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नवरात्रि के चौथे दिन यानी आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को देवी कूष्मांडा की पूजा का विधान है। इस बार ये तिथि 29 सितंबर, गुरुवार को है। मां दुर्गा के इस चौथे रूप ने अपने उदर (पेट) से अंड अर्थात ब्रह्मांड को उत्पन्न किया। इसी वजह से माता दुर्गा के इस स्वरूप का नाम कूष्मांडा पड़ा। देवी कूष्मांडा रोगों को तुरंत नष्ट करने वाली हैं। इनकी भक्ति से अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है।

5. स्कंदमाता (Skandmata)

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नवरात्रि के पांचवें दिन यानी आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को स्कंदमाता की पूजा की जाती है। इस बार ये तिथि 30 सितंबर, शुक्रवार को है। देवताओं के सेनापति भगवान स्कंद की माता होने के कारण मां दुर्गा के पांचवे स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जानते हैं। स्कंदमाता भक्तों को सुख-शांति प्रदान करती हैं।

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6. मां कात्यायनी (Goddess Katyayani)

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नवरात्रि के छठे दिन यानी आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को देवी कात्यायनी की पूजा करने का विधान है। इस बार ये तिथि 1 अक्टूबर, शनिवार को है। महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया था, इसलिए वे कात्यायनी कहलाती हैं। इनकी पूजा से रोग, शोक, संताप, भय आदि नष्ट हो जाते हैं।

7. मां कालरात्रि (Goddess Kalratri)

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नवरात्रि के सातवें दिन यानी आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को देवी कालरात्रि की पूजा की जाती है। इस बार ये तिथि 2 अक्टूबर, रविवार को है। मां दुर्गा का ये रूप काल का नाश करने वाला है, इसीलिए इन्हें कालरात्रि कहा जाता है। मां कालरात्रि की भक्ति से हमारे मन का हर प्रकार का भय नष्ट हो जाता है। मां कालरात्रि अपने भक्तों को हर परिस्थिति में विजय दिलाती हैं।

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8. मां महागौरी (Goddess Mahagauri)

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नवरात्रि के आठवें दिन यानी आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को देवी महागौरी की पूजा की जाती है। इस बार ये तिथि 3 अक्टूबर, सोमवार को है। देवी के इस स्वरूप का रंग अत्यंत गोरा है, इसलिए इन्हें महागौरी के नाम से जाना जाता है। मां महागौरी के प्रसन्न होने पर भक्तों को सभी सुख स्वतः: ही प्राप्त हो जाते हैं। साथ ही इनकी भक्ति से हमें मन की शांति भी मिलती है।

9. मां सिद्धिदात्री (goddess siddhidatri)

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नवरात्रि के अंतिम दिन यानी आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इस बार ये तिथि 4 अक्टूबर, मंगलवार को है। मां सिद्धिदात्री भक्तों को हर प्रकार की सिद्धि प्रदान करती हैं। सिद्धिदात्री के आशीर्वाद से भक्तों के लिए कोई कार्य असंभव नहीं रह जाता और उसे सभी सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।

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